इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के क्या है लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार ?

IBS

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के क्या है लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार ?

  • April 23, 2024

  • 93 Views

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम आंतो से जुडी हुई एक समस्या है जिसके काफी लक्षण भी नज़र आते है इसके अलावा यह समस्या क्या है और इस समस्या से जुड़े आयुर्वेदिक उपचार क्या है इसके बारे में हम आज के लेख में बात करेंगे, इसलिए इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के बारे में जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ;

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या है ?

आंत की मांसपेशियों में संकुचन हमारे आंत की दीवार मांसपेशियों की परत से मिलकर बनी होती है। जब हम भोजन करते हैं तो भोजन को पाचन तंत्र में भेजने की क्रिया के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं, लेकिन जब मांसपेशियां सामान्य से अधिक सिकुड़ जाती हैं तो पेट में गैस बनने लगती है और सूजन आ जाती है जिसके कारण आंत कमजोर हो जाती है और भोजन को पाचन तंत्र में भेज नहीं पाती है। इसके कारण व्यक्ति को डायरिया होने लगता है और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या यही से उत्पन होती है।

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या क्यों होती है ?

  • अधिकतर रोगियों में तनाव के समय यह समस्या अधिक पाई जाती है। जैसे नए जॉब के शुरुआती दिन, इंटरव्यू का पहला दिन, या कोई दूसरा तनाव का कारण जिसके लिए मरीज संवेदनशील है।

  • व्यक्तित्व विकार, अवसाद, चिंता, यौन शोषण और घरेलू हिंसा का इतिहास आंत्र सिंड्रोम को विकसित करने का एक प्रमुख जोखिम कारक है। आँतों से सम्बंधित ये गतिविधियां मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। और कई बार ये नियंत्रण सुचारू रूप से नहीं रह पाता। जिसके कारण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या उत्पन होती जिसे मस्तिष्कआंत विकार भी कहा जाता है।

इसके अलावा आप भी अगर इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या से जूझ रहे है तो बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का सुझाव ले।

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण क्या है ?

  • कब्ज या दस्त की समस्या।

  • वजन कम होना।

  • भूख में कमी का आना।

  • बुखार की समस्या।

  • हाथोंपैरों में सूजन की समस्या।

  • स्वभाव में आलस्य और चिड़चिड़ापन का आना।

  • यदि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या के वक़्त आपको मल त्याग करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक का चयन करे।

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का आयुर्वेद व घरेलू उपचार क्या है ?

  • इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के उपचार की बात करे तो इसका उचित इलाज सही आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करके और इन डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवाई का समय पर प्रयोग में लेने से आप इस समस्या से जल्दी निजात पा सकते है और ये ही बेहतरीन इलाज है।

  • इसके अलावा कुछ घरेलू उपायों की बात करे तो इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम होने पर एक चम्मच पिसा हुआ कड़ी पत्ता नियमित रूप से जरूर लें।

  • अनार के दानों का नियमित सेवन करें।

  • अपने खाना पकाने में अदरक और मेथी को जरूर शामिल करें।

  • काली मिर्च और काला नमक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लिए एक बेहतरीन उपाय है।

  • हींग, अजवायन और सोंठ का पेस्ट बनाकर सुबह शाम गर्म पानी के साथ लेने से आपको इस समस्या से आराम मिलेगा।

यदि आप भी इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या का इलाज करवाना चाहते है तो संजीवनी आयुर्वेदशाला क्लिनिक का जरूर से चयन करे। क्युकि यहाँ के अनुभवी डॉक्टर आपको इस समस्या से बाहर निकलवाने में काफी मददगार होंगे।

निष्कर्ष :

उम्मीद करते है कि आपको पता चला गया होगा की क्या है इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या और कैसे हम इस समस्या से खुद को बाहर निकाल सकते है।

HindiIBSliver diseases

क्या है इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की आयुर्वेदिक दवा व उपचार के तरीके ?

  • August 16, 2023

  • 1000 Views

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) एक आम बीमारी है और यह बड़ी आंत को प्रभावित करती है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द एवं मरोड़ होना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया होने जैसे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण नज़र आते है। इसके अलावा इस समस्या से कैसे हम खुद का बचाव कर सकते है वो भी आयुर्वेदिक उपचार की मदद से इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

क्या है इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) ?

  • इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों का रोग है, इसमें पेट में दर्द, बेचैनी व मल करने में परेशानी होती है, इसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है। 
  • यदि लम्बे समय तक इस समस्या को अनदेखा किया गया, तो यह अधिक गम्भीर हो सकती है। कुछ मामलों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की आंत भी क्षतिग्रस्त हो सकती है। हालांकि यह बहुत सामान्य नहीं होता है। शुरूआत में खान-पान, जीवनशैली में बदलाव एवं तनाव कम करके इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

क्या आयुर्वेद में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) का इलाज मौजूद है?

  • इसका इलाज आयुर्वेद में शुरू से मिलता आ रहा है, क्युकि आयुर्वेद बीमारी का इलाज जड़ से करती है और ये समस्या आपके आंत या फिर पेट से जुडी होती है। 
  • इसका इलाज आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों की मदद से किया जाता है, जिससे व्यक्ति को काफी फ़ायदा भी पहुँचता है। 
  • इसके इलाज से बीमारी का जड़ से खात्मा किया जाता है।

यदि आप इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज करवाना चाहते है, तो इसके लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) के क्या लक्षण है ? 

  • कब्ज या दस्त की समस्या। 
  • वजन का कम होना। 
  • भूख में कमी का आना। 
  • बुखार की समस्या आदि। 

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण ज्यादा गंभीर होने पर आप बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करे।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) की आयुर्वेदिक दवा और उपचार क्या है ?

  • इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम तनाव के कारण होता है, इसलिए इसका बेहतरीन इलाज है की व्यक्ति तनाव से जितना हो सकें दूर रहें। वहीं तनाव कम करने के लिए आप मालिश और अरोमाथेरेपी अपनाए। यदि आप ऐसा करते है तो आपको काफी फ़ायदा होगा और आपकी ये समस्या भी ख़त्म हो जाएगी।  
  • सम्पूर्ण स्वास्थ्य हासिल करने के लिए योग का सहारा लें। 
  • इसके अलावा आप इनके दोषों को कम करने के लिए कुछ हर्बल टॉनिक व आयुर्वेदिक दवाइयां भी लें सकते है।

अगर आप चाहें तो इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज संजीवनी आयुर्वेदशाला क्लिनिक से भी करवा सकते है।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) की आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां कौन-सी है ? 

  • आंत या पेट से जुडी समस्या से आप निजात पाना चाहते है तो इसके लिए आपको हरीतकी, शुंठी, पिप्पली, चित्रक को बराबर मात्रा में मिलाना है और सुबह शाम 3 से 6 ग्राम छाछ के साथ लेना है। 
  • 1 ग्लास पानी में त्रिफला चूर्ण भिगोएं, और खाली पेट इस पानी को पिएं। 
  • हिंग्वासक चूर्ण, 1 चम्मच घी, पानी के साथ खाने से पहले लें। 
  • 3 ग्राम इसबगोल, गुनगुने पानी के साथ सोते समय लें 
  • दालचीनी, सौंठ, जीरा बराबर मात्रा में मिलाएं। फिर इसे 1 से 2 ग्राम दिन में 2 या 3 बार मधु (शहद) के साथ लें।

यदि आप समय पर उपरोक्त आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों का सेवन करते है, तो आपको इस तरह की समस्या से निजात मिलता है, पर ध्यान रहें इन दवाइयों को बिना डॉक्टर के सलाह पर न लें।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) के मरीज को क्या खाना चाहिए ?

  • बटर मिल्क या मट्ठा, गुनगुना पानी पिएं। फाइबर युक्त आहार, जैसी चीजों को चबा-चबा कर खाना चाहिए।
  • अदरक, सौंफ, जीरा, लौंग, इलायची, अनार, केला, बेल, सिंघाड़ा, पुराना चावल, लौकी, तौरई, मूंग के सेवन को अपने आहार में जरूर शामिल करें।

सुझाव :

आंत से जुडी समस्या व्यक्ति के लिए पेट से जुडी काफी परेशानी खड़ी कर सकता है, इसलिए जरूरी है की आप इसका इलाज जरूर करवाए। 

निष्कर्ष :

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम या आंत से जुडी समस्या का अगर आप सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द डॉक्टर का चयन करना चाहिए।